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नई दिल्ली14 घंटे पहले
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देश के मध्यम आय वर्ग पर पिछले एक साल में कोविड की गहरी मार पड़ी है। इसने उनकी वर्षों की जमा पूंजी खाकर लगभग 3.2 करोड़ लोगों को इस कैटेगरी से निकालकर निम्न आय वर्ग में धकेल दिया है। एक हालिया अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, रोजगार छूटने से भारत में लाखों लोग गरीबी के दलदल में आ फंसे हैं।
पिछले एक साल में एक तिहाई कम हुआ मिडिल क्लास का साइज
अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, भारत में पिछले एक साल में 10 से 20 डॉलर (725 से 1,450 रुपए) रोजाना की कमाई वाले 3.2 करोड़ लोग मध्यम आय वर्ग से निकल गए हैं। इसकी वजह कोविड के चलते आई दुश्वारियां रही हैं। कोविड से पहले लगभग 9.9 करोड़ लोग मध्यम वर्ग का हिस्सा थे जिनकी संख्या घटकर अब 6.6 करोड़ रह गई है। इस हिसाब से कोविड के चलते उनकी संख्या पिछले एक साल में एक तिहाई घटी है।
2011 से 2019 के बीच 5.7 करोड़ लोग बने थे मध्य आय वर्ग का हिस्सा
इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर वर्ल्ड बैंक की तरफ से दिए गए अनुमान के हवाले से प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा है, ‘कोविड की वजह से आए डाउनटर्न में भारतीय मध्यम वर्ग का आकार चीन के मुकाबले ज्यादा घटा और उसके मुकाबले गरीबी ज्यादा बढ़ी।’ भारत में 2011 से 2019 के बीच लगभग 5.7 करोड़ लोग निम्न आय वर्ग से निकलकर मध्य आय वर्ग का हिस्सा बने थे।
रोज दो डॉलर या कम कमानेवालों का आंकड़ा बढ़कर 7.5 करोड़ पर पहुंचा
प्यू सेंटर के अनुमान के मुताबिक कोविड के चलते भारत में आई मंदी ने रोज दो डॉलर (लगभग डेढ़ सौ रुपए) या कम कमानेवाले निम्न आय वर्ग के लोगों का आंकड़ा बढ़कर 7.5 करोड़ पर पहुंचा दिया है। अगर चीन की तुलना भारत से करें तो वहां लोगों के रहन-सहन के स्तर में गिरावट यहां से कम रही है। वहां एक करोड़ लोग ही मिडिल इनकम ग्रुप से बाहर हुए हैं और गरीबी का स्तर जस का तस रहा है।
जनवरी 2020 में WB ने चीन और भारत के लिए एक समान ग्रोथ का अनुमान दिया था
पिछले साल जनवरी में वर्ल्ड बैंक ने चीन (5.9%) और भारत (5.8%) के लिए कमोबेश एक समान इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान दिया था। लेकिन इस साल जनवरी में उसने 2020 के लिए भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान -9.6% और चीन की ग्रोथ का अनुमान 2% कर दिया।
1.147 करोड़ संक्रमितों के साथ अमेरिका, ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर आया भारत
यहां साल के शुरुआती महीनों में संक्रमण घटने के बाद फिलहाल कुछ औद्योगिक राज्यों में संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है। भारत लगभग 1.147 करोड़ संक्रमितों के साथ अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। जानकारों के मुताबिक इसके चलते नए वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान से कम रहने का खतरा पैदा हो सकता है।